जानें कब और कैसे शुरू हुआ ‘प्लेबैक सिंगर्स’ के लिए फिल्मफेयर अवार्ड
यद्यपि फिल्म फेयर अवार्ड्स की शुरुआत 1954 में हो गयी थी, पर शुरुआत में गायकों के लिए अवार्ड नहीं था. जब शंकर जयकिशन को चोरी चोरी फिल्म के संगीत के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला तो उन्होंने लता मंगेशकर से स्टेज पर फिल्म का गीत ‘रसीक बलमा’ गाने का अनुरोध किया, जिसके लिए लता मंगेशकर ने मना कर दिया. उसके बाद गायकों के लिए भी फिल्म फेयर अवार्ड की शुरुआत हुई. 1967 तक गायक और गायिकाओं के लिए एक ही अवार्ड था. 1967 के बाद पुरुष गायकों और महिला गायिकाओं के लिए अलग अलग केटेगरी बनायी गयी.
पार्श्व गायकी का पहला फिल्म फेयर पुरस्कार मुकेश को 1960 में फिल्म अनाड़ी के गाने “ सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी” के लिए मिला था.
मखमली आवाज के मालिक तलत महमूद फिल्मफेयर अवार्ड के लिए एक बार नामांकित हुए थे. 1960 में फिल्म सुजाता के गाने “ जलते हैं जिसके लिए तेरी आँखों के दिए”, उसके बाद वे कभी नामांकित नहीं हो पाए. वे कभी फिल्म फेयर अवार्ड नहीं जीत सके.
सबसे ज्यादा बार फिल्म फेयर अवार्ड किशोर कुमार ने जीता. सबसे पहली बार 1970 में आराधना फिल्म के गाने “ रूप तेरा मस्ताना” के लिए; फिर 1976 में अमानुष फिल्म के गाने “ दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा” के लिए; 1971 में डॉन फिल्म के गाने “ खाइके पान बनारस वाला” के लिए; 1981 में फिल्म थोड़ी सी बेवफाई फिल्म के गाने “ हज़ार राहें मुड़ के देखीं” के लिए;. इसके अलावा नमकहलाल, अगर तुम न होते, शराबी और अंतिम बार 1986 में सागर फिल्म के गाने “ सागर किनारे दिल ये पुकारे” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.
किशोर कुमार ने इसके अलावा लगातार चार साल फिल्म फेयर अवार्ड जीता:
1983: नमक हलाल: पग घुंघरू बांध
1984: अगर तुम न होते: शीर्षक गीत
1985: शराबी: मंजिलें अपनी जगह हैं
1986: सागर: सागर किनारे दिल ये पुकारे
हेमंत कुमार ने हिंदी फिल्मों में कई बेहतरीन गीत गाये, जिनमे से कई के संगीत उन्होंने खुद रचे. फिल्म ख़ामोशी, कोहरा, बीस साल बाद, नागिन, अनुपमा आदि फिल्मों में उन्होंने बेमिसाल संगीत दिया और कई शानदार दिल को छू लेने वाले गाने गाये. पर उन्हें एक भी फिल्म फेयर अवार्ड मिला और वे न एक बार फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित हुए.
दक्षिण के रफ़ी कहे जाने वाले गायक एस पी बालासुब्रमन्यम को एक बार 1990 में फिल्म मैंने प्यार किया के गाने “ दिल दीवाना” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला. इससे पहले वे 1982 में फिल्म एक दूजे के लिए के गाने “ तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन” के लिए nominate हुए थे.
फिल्म फेयर अवार्ड के लिए तीन एक्टर्स को nominate किया गया, सबसे पहले मिस्टर नटवर लाल के गीत “ मेरे पास आओ मेरे दोस्तों” ( अमिताभ बच्चन) और फिर 1999 में फिल्म गुलाम के गाने “ आती क्या खंडाला” के लिए आमिर खान. और 2013 में फिल्म विक्की डोनर के गीत “ पानी दा रंग” के लिए आयुष्मान खुराना. जिसमे से आयुष्मान खुराना को सफलता मिली.
80 और 90 के दशक के बेहतरीन गायक सुरेश वाडेकर कुल मिलाकर ४ बार पार्श्व गायन के लिए फिल्म फेयर अवार्ड के लिए nominate हुए, 1983 की फिल्म प्रेम रोग के दो गाने “ मेरी किस्मत में तू नहीं शायद” और मै हूँ प्रेम रोगी” के लिए, 1990 में फिल्म चांदनी के गीत “ लगी आज सावन की झड़ी” और 1991 में फिल्म दिल के गीत “ ओ प्रिया, प्रिया “ के लिए. हालाँकि सुरेश वाडेकर को एक बार भी फिल्म फेयर अवार्ड नहीं मिल सका.
यूँ तो जगजीत सिंह की ख्याति गैर फ़िल्मी गज़लों के लिए है, पर 1982 में फिल्म प्रेम गीत के गीत “ होठों से छू लो तुम” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड के लिए nominate हुए थे.
पार्श्व गायन के लिए सबसे अधिक बार नॉमिनेशन किशोर कुमार को मिला. कुल मिलाकर 27 बार. 1970 में फिल्म आराधना के गीत “ रूप तेरा मस्ताना” से लेकर अंतिम बार 1986 में फिल्म सागर के गीत “ सागर किनारे” के लिए.
पार्श्व गायकों में के के एक ऐसे गायक रहे हैं, जिनके नाम सबसे ज्यादा बार बिना पुरस्कार जीते हुए nominate होने का रिकॉर्ड है. वे कुल मिलाकर 7 बार nominate हुए, सबसे पहले 2000 में फिल्म हम दिल दे चुके सनम के गीत “ तड़प तड़प के “ के लिए.
फिल्म फेयर के इतिहास में कई ऐसे मौके आये जब दो गायकों को फिल्म फेयर के लिए nominate किया गया;
1997 में माचिस फिल्म के गाने “ चप्पा चप्पा चरखा चले” के लिए हरिहरन और सुरेश वाडेकर
1998 में बॉर्डर फिल्म के गाने “ संदेशे आते हैं” के लिए सोनू निगम और रूप कुमार राठौर
2005 में स्वदेश फिल्म के गाने “ ये तारा वो तारा” के लिए उदित नारायण और मास्टर विग्नेश
2010 में दिल्ली 6 के गाने “ अर्जियां” के लिए जावेद अली और कैलाश खेर
2010 में ही कुर्बान फिल्म के गाने “ शुक्राण अल्लाह “ के लिए सोनू निगम और सलीम मर्चेंट
2010 में ही कमीने फिल्म के गाने “ धन ते नान “ के लिए सुखविंदर सिंह और विशाल ददलानी
2011 में My Name Is Khan फिल्म के गाने “ नूर ए खुदा” के लिए अदनान सामी और शंकर महादेवन
2012 में Ra.One फिल्म के गाने छम्मक छल्लो” के लिए अकोन और विशाल ददलानी
पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाले सबसे उम्र दराज गायक थे किशोर कुमार, जब उन्हें 57 वर्ष की उम्र में 1986 में फिल्म सागर के गीत “ सागर किनारे दिल ये पुकारे” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.
पार्श्व गायन के फिल्म फेयर अवार्ड के लिए यंगेस्ट नॉमिनी रहे हैं मास्टर विग्नेश जो 2005 में फिल्म स्वदेश के गीत “ ये तारा वो तारा” के लिए nominate हुए थे. हालाँकि उस साल कुनाल गांजावाला को फिल्म मर्डर के गीत “ भींगे होठ तेरे” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया था.
बेताब फिल्म से चर्चा में आये और मोहम्मद रफ़ी को आदर्श मानने वाले शब्बीर कुमार को 1984 में तीन गानों के लिए nominate किया गया था. दो गाने बेताब फिल्म से थे: पर्वतों से आज मै टकरा गया हूँ, और जब हम जवान होंगे. हालाँकि उस साल किशोर कुमार को अगर तुम न होते फिल्म के शीर्षक गीत के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.
उदित नारायण एकमात्र ऐसे गायक रहे हैं, जिन्हें तीन अलग अलग दशकों में पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड मिला है. उन्हें सबसे पहले 1989 में क़यामत से क़यामत तक फिल्म के गीत “ पापा कहते हैं” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला. फिर उसके बाद 1996 में दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे फिल्म के गीत “ मेहंदी लगाके रखना” के लिए, 1997 में हम दिल दे चुके सनम फिल्म के गीत “ चाँद छुपा” और फिर 2002में लगान फिल्म के गीत “ मितवा” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.
हिंदी फिल्मों में किंग खान शाहरुख़ खान की आवाज माने जाने वाले अभिजीत को एक बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला है. शाहरुख़ खान अभिनीत फिल्म यस बॉस के गीत “ मै कोई ऐसा गीत गाऊं” आगे चलकर शाहरुख़ और अभिजीत के बीच गलतफहमियां हो गयीं और दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए.
1972 में मन्ना डे ने राजकपूर अभिनीत फिल्म “ मेरा नाम जोकर “ के गीत ऐ भाई ज़रा देख कर चलो” के लिए पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड जीता था.
अरिजीत सिंह सबसे कम उम्र में पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाले गायक हैं. उन्हें 26 साल की उम्र में 2014 में फिल्म आशिकी 2 के गीत “ तुम ही हो” के लिए अवार्ड से नवाजा गया था.
पार्श्व गायकों में सबसे अधिक बार किशोर कुमार ने फिल्म फेयर अवार्ड जीता: कुल 8 बार, दुसरे स्थान पर रहे मुहम्मद रफ़ी: 6 बार.
दो गायक ऐसे हुए हैं, जिन्हें पांच बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला है: दोनों समकालीन रहे हैं: कुमार सानु और उदित नारायण.
सबसे अधिक बार लगातार फिल्म फेयर अवार्ड जीतने का रिकॉर्ड कुमार सानु के नाम है. उन्होंने 1991 से 1995 तक लगातार पांच बार पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड जीता.
1991 में आशिकी फिल्म के गाने “ अब तेरे बिन जी लेंगे हम” के लिए,
1992 में सजन फिल्म के गाने “ मेरा दिल भी कितना पागल है” के लिए,
1993 में दीवाना फिल्म के गाने “ सोचेंगे तुम्हे प्यार करें कि नहीं” के लिए,
1994 में बाज़ीगर फिल्म के गाने “ ये काली काली आँखें” के लिए
1995 में 1942: A Love Story फिल्म के गीत “ एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा” के लिए.
पार्श्व गायन के लिए दो फिल्म फेयर अवार्ड के बीच सबसे लम्बा गैप ( 11 साल) रहने का रिकॉर्ड मुकेश के नाम है. पहला अवार्ड उन्हें 1960 में अनाड़ी फिल्म के गाने “ सब कुछ सीखा हमने” के लिए मिला फिर 11 साल के बाद 1971 में पहचान फिल्म के गाने “ सबसे बड़ा नादाँ” के लिए मिला.
हिंदी फिल्मों में मनोज कुमार की आवाज माने जाने वाले महेंद्र कपूर ने तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड जीता. सबसे पहले 1964 में गुमराह फिल्म के गाने “ चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ” के लिए, फिर दूसरी बार 1968 में फिल्म हमराज़ के गाने “ नीले गगन के तले” के लिए; और फिर तीसरी और अंतिम बार 1975 में फिल्म रोटी कपडा और मकान के गीत “ और नही बस और नहीं” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.
चार गायकों को दो बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला है:
सोनू निगम: फिल्म्स साथिया ( 2003), कल हो न हो ( 2004)
शान : फिल्म्स- फना (2008), सांवरिया ( 2008)
मोहित चौहान : दिल्ली 6, रॉक स्टार
सुखविंदर सिंह: रब ने बना दी जोड़ी ( 2009), दिल से ( 1999)
फिल्म फेयर के इतिहास में दो गायकों ने एक साल में सारे नॉमिनेशन खुद के नाम करने का रिकॉर्ड बनाया है. पहले मुहम्मद रफ़ी हैं, जिन्हें 1969 में तीनों नॉमिनेशन मिले
दिल के झरोखे में ( ब्रह्मचारी), बाबुल की दुआएं ( नीलकमल), मै गाऊं तुम सो जाओ( ब्रह्मचारी) –
दुसरे गायक थे किशोर कुमार, जिन्होंने ये कारनामा 1985 ( शराबी) में किया था.
सारे ( 4) गाने एक ही फिल्म शराबी से थे.
मंजिलें अपनी जगह हैं, दे दे प्यार दे, इन्तहा हो गयी, लोग कहते हैं.
सुर सम्राट रफ़ी ने कुल 6 बार फिल्म फेयर अवार्ड जीता: 1961, 1962, 1965, 1967, 1969, 1978
1961 – "चौदहवी का चाँद हो," ( चौदहवी का चाँद)
1962 – "चश्मे बद्दूर " ( ससुराल)
1965 – "चाहूँगा मै तुम्हे " ( दोस्ती)
1967 – "बहारों फूल बरसाओ " ( सूरज)
1969 – "दिल के झरोखे में " ( ब्रह्मचारी)
1978 – "क्या हुआ तेरा वादा " ( हम किसी से कम नहीं)
हिमेश रेशमिया पहले संगीतकार थे, जिन्हें पार्श्व गायन का फिल्म फेयर अवार्ड मिला. 2006 में फिल्म आशिक बनाया आपने फिल्म के शीर्षक गीत “ आशिक बनाया आपने” के लिए.
1980 का फिल्म फेयर अवार्ड दक्षिण के सिंगिंग सेंशेसन येसु दास को दादा फिल्म के गाने “ दिल के टुकड़े टुकड़े करके” के लिए मिला. इससे पहले येसु दास 1977 में चितचोर फिल्म के गाने “ गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा” के लिए नॉमिनेटेड हुए थे.
1981 में देहांत के बाद मुहम्मद रफी अपने तीन गानों के लिए रेस में थे, ये गाने थे: क़र्ज़ फिल्म का “ दर्दे दिल दर्दे जिगर”; अब्दुल्ला फिल्म का “ मैंने पूछा चाँद से” और दोस्ताना फिल्म का “ मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया”; पर 1981 का फिल्म फेयर अवार्ड किशोर कुमार के खाते में गया; गाना था- फिल्म थोड़ी सी बेवफाई का “ हज़ार रहें मुड़ के देखी”
1982 में एक पिता को बेटे के हाथों हारना पड़ा. जब अमित कुमार को फिल्म लव स्टोरी के गाने “ याद आ रही है” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला. इसी साल किशोर कुमार कुदरत फिल्म के गाने “ हमें तुमसे प्यार कितना” के लिए नॉमिनेटेड थे.
लेकिन अगले साल पिता के हाथों बेटे को हार मिली. जब 1983 में किशोर कुमार को नमक हलाल फिल्म के गाने “ पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी” के लिए फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया, उस साल उनके बेटे अमित कुमार फिल्म “तेरी कसम” के गाने “ ये जमीन गा रही है” के लिए नॉमिनेटेड थे.
1987 और 1988 दो साल ऐसे थे, जब गायकी का फिल्म फेयर अवार्ड नहीं दिया गया
1972 में मन्ना डे सबसे अधिक उम्र (52 साल) में पहला फिल्म फेयर अवार्ड पाने वाले गायक बने. उन्हें मेरा नाम जोकर फिल्म के गाने “ ऐ भाई ज़रा देख के चलो” के लिए अवार्ड मिला.
2007 में शान और कैलाश खेर को फना फिल्म के गाने “चाँद सिफारिश” के लिए संयुक्त रूप से फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया. फिल्म फेयर के इतिहास में पहली बार.
फिल्मफेयर अवार्ड की शुरुअात में ‘प्लेबैक सिंगर्स’ के लिए अवार्ड की कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन लता मंगेशसकर से जुड़े एक रोचक प्रसंग से इस अवार्ड की शुरुआत हुई, तो आइए जानें कब और कैसे शुरू हुआ ‘प्लेबैक सिंगर्स’ के लिए फिल्मफेयर अवार्ड…
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