पत्रकार शिवानी भटनागर मर्डर केस: जब एक पत्रकार अपनी महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ गयी
बालेन्दुशेखर मंगलमूर्ति.
शिवानी भटनागर हत्याकांड काफी लम्बे समय तक राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियों में रही. शिवानी भटनागर इंडियन एक्सप्रेस अखबार की पत्रकार थीं, जिनकी 23 जनवरी, 1999 को हत्या कर दी गई थी. दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में नवकुंज अपार्टमेंट फ्लैट मेंहत्यारों ने शिवानी की हत्या उन्हीं के फ्लैट में कर दी थी. यह मामला तब और सनसनीखेज़ बन गया, जब इस केस में हत्या का आरोप एक आईपीएस अधिकारी आरके शर्मा पर लगा. दिल्ली पुलिस को जैसे ही इस हत्याकांड में तत्कालीन आईजी आरके शर्मा के होने का पता चला, शर्मा फरार हो गये. अदालत ने अगस्त 2002 में ही भगोड़े आईपीएस आरके शर्मा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और उन्हें आईजी जेल पद से हटा दिया गया. आरके शर्मा की पत्नी मधु शर्मा ने इस केस में बीजेपी नेता प्रमोद महाजन का नाम घसीटने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने महाजन को क्लीन चिट दे दी. आरके शर्मा ने सितंबर 2002 में उसने अंबाला कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया. इस मामले में रवि शर्मा सहित भगवान शर्मा, प्रदीप शर्मा और सत्य प्रकाश को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बाद में श्रीभगवान को भी गिरफ़्तार कर लिया था. पुलिस ने दावा किया था कि आरके शर्मा ने सहअभियुक्त सत्यप्रकाश, श्रीभगवान, वेद प्रकाश शर्मा और वेद उर्फ़ कालू से दिसंबर 1998 में दिल्ली के अशोक होटल में मुलाक़ात की थी.
जब शिवानी भटनागर शादी करने के लिए आर के शर्मा पर दबाब बनाने लगी:
अभियोजन पक्ष के मुताबिक़ आरके शर्मा ने शिवानी भटनागर से विवाह करने से इनकार कर दिया तो शिवानी भटनागर ने कथित तौर पर आरके शर्मा का भंडाफोड़ करने की धमकी दी. अदालत को बताया गया कि उसके बाद शर्मा ने शिवानी की हत्या करने का फ़ैसला कर लिया.अपने 100 पन्ने के फ़ैसले में जज राजेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी आरके शर्मा ने अन्य अभियुक्तों के साथ शिवानी भटनागर को मारने की साज़िश की थी.
मुकदमा लंबा चला. और जैसा कि प्रभावशाली लोगों के मुकदमों में अक्सरहां होता है, इस मुक़दमे के दौरान 209 में से 51 गवाह मुकर गए. इसके बावजूद सरकारी पक्ष ने शिवानी भटनागर हत्याकांड की कड़ियाँ जोड़ने में सफलता पाई. अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि शिवानी भटनागर पहली बार आरके शर्मा से तब मिली थीं जब शर्मा प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के कार्यालय में विशेषाधिकारी थे. अदालत में सुनवाई के दौरान सामने आई जानकारी के अनुसार बाद में शिवानी भटनागर और आरके शर्मा के बीच प्रेम संबंध बन गए और उसी दौरान शर्मा ने शिवानी को कुछ गोपनीय दस्तावेज़ दिखाए जिनमें सेंट किट्स मामले से संबंधित भी कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ थे.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक़ आरके शर्मा ने शिवानी भटनागर से विवाह करने से इनकार कर दिया तो शिवानी भटनागर ने कथित तौर पर आरके शर्मा का भंडाफोड़ करने की धमकी दी. अदालत को बताया गया कि उसके बाद शर्मा ने शिवानी की हत्या करने का फ़ैसला कर लिया.
दिल्ली के मशहूर अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में पॉलिटिकल बीट देखने वाली शिवानी काफी तेज-तर्रार महिला के रूप में जाना जाता था. शिवानी पहले से शादी-शुदा थी लेकिन उसका पारिवारिक जीवन सुखी नहीं था. वो अपने बेटे के साथ दिल्ली के परपड़गंज के एक अपार्टमेंट में अकेले रहती थी जहां उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई और किचन के चाकू से उसके शरीर पर दस वार किये गये थे.
मर्डर केस की डेटलाइन:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्रकार शिवानी भटनागर हत्याकांड में पूर्व आईपीएस अधिकारी आर के शर्मा और दो अन्य को बरी कर दिया. इस मामले से जुड़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं-
23 जनवरी, 1999: इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार शिवानी भटनागर की पूर्वी दिल्ली स्थित उसके निवास पर हत्या कर दी गयी.
23 जुलाई, 2002: पुलिस ने आर के शर्मा के साथ काम कर चुके हरियाणा के एक पूर्व पुलिस अधिकारी के बेटे श्री भगवान को गिरफ्तार किया.
2 अगस्त, 2002: पुलिस ने हरियाणा के पंचकूला में आर के शर्मा के आवास पर छापा मारा, लेकिन वह उसे गिफ्तार नहीं कर पाई. सह आरोपी प्रदीप शर्मा गिरफ्तार किया गया.
6 अगस्त, 2002: पंचकूला की एक अदालत ने आर के शर्मा की अंतरिम जमानत खारिज कर दी. दिल्ली पुलिस ने आर के शर्मा की तस्वीर जारी की और उन पर 50 हजार रूपए का ईनाम घोषित किया.
8 अगस्त, 2002: आर के शर्मा की पत्नी मधु ने प्रमोद महाजन के शामिल होने की बात कही और सीबीआई जांच की मांग की.
23 जनवरी, 2005: यह मामला फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट को भेजा गया.
9 अक्टूबर, 2007: अभियोजन पक्ष ने कहा कि शिवानी सरकारी गोपनीयता कानून के तहत अपराधों को लेकर आर के शर्मा का भंडाफोड़ करना चाहती थी.
4 दिसंबर, 2007: आर के शर्मा ने कहा कि उनका (शिवानी के साथ) दोस्ताना संबंध था और कोई गुप्त संबंध नहीं था.
18 मार्च, 2008 अदालत ने आर के शर्मा और तीन अन्य को दोषी करार दिया तथा वेद प्रकाश शर्मा , वेद उर्फ कालू को बरी किया.
24 मार्च, 2008 : अदालत ने आर के शर्मा और तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
26 मार्च, 2008: आर के शर्मा और तीन अन्य अभियुक्तों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर की.
12 अक्टूबर 2011: उच्च न्यायालय ने आर के शर्मा, श्री भगवान और सत्यप्रकाश को बरी किया. प्रदीप शर्मा को सजा बरकरार रखी.
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