नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के चेयरमैन अशोक चावला का इस्तीफा; एयरसेल मैक्सिस मामले में CBI जांच की अनुमति
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के चेयरमैन अशोक चावला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अशोक चावला के इस्तीफे के कुछ घंटे पहले ही केंद्र सरकार ने सीबीआई को एयरसेल-मैक्सिस मामले में चावला के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी थी. इसके तुरंत बाद चावला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
The Central Bureau of Investigation (CBI) counsel today informed a special court in Delhi that it has obtained sanction to prosecute Ashok Chawla and four the then Foreign Investment Promotion Board (FIPB) officials in the #AircelMaxisCase. https://t.co/ZARS60T9Wp
— ANI (@ANI) January 11, 2019
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) NSE की को-लोकेशन सुविधा में कथित खामियों की जांच कर रहा है. नियामक यह भी पता लगा रहा है कि क्या कुछ ब्रोकरों को एक्सचेंज द्वारा इस तीव्र फ्रिक्वेंसी कारोबार सुविधा में किसी तरह की अनुचित पहुंच उपलब्ध कराई गई थी.
भारत सरकार में पूर्व वित्त सचिव अशोक चावला 28 मार्च, 2016 को NSE के चेयरमैन बने थे. वह नागर विमानन सचिव और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के चेयरमैन भी रह चुके थे. उन्होंने पिछले साल नवंबर में यस बैंक के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया था. इससे पहले सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि केंद्र ने पांच लोगों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है. ये लोग पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम से संबंधित एयरसेल मैक्सिस मामले में आरोपी हैं.
उस समय विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ( FIPB) के सदस्य जिनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति मिली है, उनमें तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव अशोक झा, तत्कालीन संयुक्त सचिव अशोक चावला, वित्त मंत्रालय में तत्कालीन सचिव कुमार संजय कृष्ण और मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक दीपक कुमार सिंह और मंत्रालय में तत्कालीन अवर सचिव राम शरण शामिल हैं. इन पांच में से तीन विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं जबकि दो सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
क्या था एयरसेल-मैक्सिस डील ?
ज्ञात हो कि 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील को पी चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री ने मंजूरी दी थी. पी चिदंबरम पर आरोप है कि उनके पास 600 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्ट प्रपोजल्स को ही मंजूरी देने का अधिकार था. इससे बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए उन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी. एयरसेल-मैक्सिस डील केस 3500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी का था. इसके बावजूद एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी के बिना मंजूरी दी गई.
2015 में सुब्रमण्यन स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की विभिन्न कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया था. स्वामी ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति की एयरसेल-मैक्सिस डील से लाभ उठाने में मदद की. इसके लिए उन्होंने दस्तावेजों को जानबूझकर रोका और अधिग्रहण प्रक्रिया को नियंत्रित किया ताकि कार्ति को अपनी कंपनियों के शेयर की कीमत बढ़ाने का वक्त मिल जाए.
फिलहाल, सीबीआई की विशेष अदालत ने पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई और ईडी द्वारा एयरसेल मैक्सिस घोटाले के सिलसिले में दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर रोक की अवधि एक फरवरी तक बढ़ा दी है. सीबीआई की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने विशेष सीबीआई अदालत को बताया कि मामले में जारी जांच पूरी होने वाली है. इसके बाद विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख एक फरवरी तय की.
पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने गिरफ्तारी से छूट की अवधि बढ़ाने की मांग की थी. सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि मामले में आरोपी कुछ लोकसेवकों के अभियोजन के लिये आवश्यक मंजूरी हासिल कर ली गई है.
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