वीआईपी सीट गया में रोचक होगा मुकाबला, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को सीधी टक्कर देंगे एनडीए के विजय मांझी
गया : गया लोकसभा क्षेत्र में इस बार का लोकसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने जा रहा है. पिछली बार इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार हरि मांझी विजयी हुए थे , लेकिन इस बार यह सीट जदयू के कोटे में आ गयी है और जदयू ने विजय मांझी को टिकट दिया है जो पूर्व सांसद भागवती देवी के बेटे हैं. भागवती देवी पत्थर काटने का काम करती थीं. वहीं महागठबंधन की ओर से यहां से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी उम्मीदवार हैं. वे महागठबंधन के उम्मीदवार हैं और अपनी पार्टी (हम) के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं.
गया अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट है. बिहार के जितने भी संसदीय क्षेत्र हैं, गया में दलितों की संख्या सर्वाधिक है. ऐसा माना जा रहा था कि यहां भाजपा के उम्मीदवार हरि मांझी और जीतन राम मांझी के बीच मुकाबला होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पूरे देश की नजर इस सीट पर होगी. पिछले चुनाव में दो नंबर पर राजद के राजेश कुमार मांझी और तीसरे नंबर पर जदयू के जीतन राम मांझी थे. इस लिहाज से देखा जाये तो यहां एनडीए का पलड़ा भारी है, क्योंकि इस बार भाजपा और जदयू साथ में है. लेकिन जीतन राम मांझी के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है इसलिए वे अपना पूरा जोर लगा देंगे. परिसीमन के बाद सामाजिक समीकरण भी बदल गये हैं. वर्तमान में इस सीट पर लगातार दो बार से भाजपा के सांसद हरि मांझी कायम हैं. महागठबंधन में राजद चूंकि कई बार जीतता रहा है, इसलिए जीतन राम मांझी को उसका फायदा भी मिलेगा.
गया में हैं ये विधानसभा क्षेत्र
गया संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें बाराचट्टी, शेरघाटी, बोधगया, वजीरगंज, गया शहर व बेलागंज विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
गया लोकसभा सीट बिहार का सर्वाधिक दलित जनसंख्या वाला इलाका है. साल 1957 के आम चुनाव में गया लोकसभा सीट से कांग्रेस के ब्रजेश्वर प्रसाद सांसद चुने गए थे और साल 1962 के चुनाव में भी उन्हीं का राज यहां पर रहा। लेकिन साल 1967 के चुनाव में यहां कांग्रेस की जीत हुई, 1971 में यहां से जनसंघ जीती तो वहीं साल 1977 में यहां जनता पार्टी की जीत हुई.1980 और 1984 में यहां कांग्रेस का ही राज रहा तो वहीं 1989 में जनता दल ने यहां जीत का डंका बजाया. इसके बाद साल 1996 तक यहां केवल जनता दल का ही प्रभुत्व रहा, उसके राज को साल 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने खत्म किया औऱ कृष्ण कुमार चौधरी यहां से सांसद बने इसके बाद साल 1999 के चुनाव में भी बीजेपी ही यहां से जीती और रामजी मांझी यहां से एमपी चुने गए, साल 2004 के चुनाव में राजद ने बीजेपी को यहां जीत की हैट्रिक पूरी नहीं होने दी और राजेश कुमार मांझी यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे लेकिन साल 2009 के चुनाव में हरी मांझी ने राजद से भाजपा की हार का बदला ले लिया और उनका राज साल 2014 के चुनाव में भी जारी रहा.
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