ठनका गिरने के दौरान किन किन सावधानियों को बरतें और ठनका गिर जाने के बाद क्या क्या कदम उठायें
Nakul Tarun
बिहार में 25 जून, वृहस्पतिवार को बारिश के दौरान ठनका गिरने से 103 लोगों की मौत हो गयी, जबकि तीन दर्जन से अधिक घायल हुए हैं. आपदा प्रबंधन विभाग ने 83 लोगों की मौत की पुष्टि की है. सबसे अधिक गोपालगंज में 13 लोगों की मौत हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
SI. No. | District | No. | SI. No. | District | No. |
1. | गोपालगंज | 13 | 14 | समस्तीपुर | 2 |
2 | पूर्णिया | 9 | 15 | किशनगंज | 2 |
3 | नवादा | 8 | 16 | जहानाबाद | 2 |
4 | मधुबनी | 8 | 17 | सीतामढ़ी | 2 |
5 | भागलपुर | 8 | 18 | सुपौल | 2 |
6 | औरंगाबाद | 8 | 19 | कैमूर | 2 |
7 | सीवान | 7 | 20 | बक्सर | 2 |
8 | पूर्वी चंपारण | 5 | 21 | शिवहर | 1 |
9 | दरभंगा | 5 | 22 | सारण | 1 |
10 | बांका | 5 | 23 | मधेपुरा | 1 |
11 | खगड़िया | 3 | 25 | सहरसा | 1 |
12 | जमुई | 3 | 25 | अररिया | 1 |
13 | प. चंपारण | 2 | कुल | 103 |
Source: prabhatkhabar.com
बिहार में वज्रपात से हर साल औसतन 248 लोगों की मौत हो जाती है. पिछले 10 साल में 2480 लोगों की मौत हाे चुकी है.
SI. No. | Year | Death |
1 | 2011 | 197 |
2 | 2012 | 232 |
3 | 2013 | 273 |
4 | 2014 | 186 |
5 | 2015 | 158 |
6 | 2016 | 243 |
7 | 2017 | 514 |
8 | 2018 | 302 |
9 | 2019 | 221 |
10 | 2020 | 154 |
Source: prabhatkhabar.com
ठनका में बिजली का डिस्चार्ज बहुत बड़े पैमाने पर होता है. एक अकेले ठनके से लगभग 30,000°C तापमान पैदा होता है. इससे आसपास की हवा बेहद गर्म हो जाती है और तेज गति से चारो दिशाओं में फैलती है. इस फैलने से शॉक वेव पैदा होता है जो बेहद अधिक डेसिबेल की आवाज में बदल जाता है.
क्या करें/ क्या न करें?
तैयारी:
सबसे पहले काले बादल और हवा की तेजी पर ध्यान रखें. अगर आप बादल के गरजने की आवाज सुनते हैं, तो कहीं आसपास ठनका गिर सकता है.
न्यूज़ चैनल, सरकारी घोषणाओं पर नज़र रखें. खिड़की दरवाजे बंद कर दें और सुनिश्चित करें कि बच्चे, पशु, आदि सुरक्षित हैं. गैर जरुरी विद्युत उपकरणों को प्लग् से निकाल दें. इस दौरान नहाने से बचें. क्योंकि बिजली पाइप से होकर गुजर सकती है. दरवाजे, खिड़की, चिमनी, स्टोव, बाथ टब और किसी भी इलेक्ट्रिकल चार्ज कंडक्टर से दूर रहें.
अगर बाहर हैं तो किसी सुरक्षित जगह पर जाएँ. धातु के ढांचे को अवॉयड करें. जमीन पर लेटने से सुरक्षा नहीं मिलती,बल्कि इससे और आप टारगेट बन जाते हैं. पेड़ के नीचे शरण न लें. क्योंकि इनसे विद्युत् धारा का प्रवाह और तेजी से होता है. रबर सोल वाले जुटे या कार के टायर से ठनके से बचाव नहीं होता है, ये ध्यान रहे. लेकिन अगर आप गाडी में हैं तो गाडी में ही रहें. पर खिड़की बंद रहे और धातु के हिस्से को न छुएं. पेड़ या बिजली के तारों से दूर गाडी को पार्क करें. अगर स्विमिंग कर रहे हों, तो यथाशीघ्र जमीन पर सुरक्षित जगह पर जाएँ
उपचार:
अगर किसी पर बिजली गिर जाए, तो फ़ौरन डॉक्टर की मदद मांगे. ऐसे लोगों को छूने से आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.
अगर किसी पर बिजली गिरी है तो फ़ौरन उसकी नब्ज़ जांचे और अगर आप प्राथमिक उपचार देना जानते हैं, तो तुरंत दें. बिजली गिरने से अक्सर दो जगहों पर जलने की आशंका रहती है, एक जहाँ पर बिजली गिरी है और दूसरे जहाँ से बिजली का निकास हुआ है, अर्थात पैर का तलवा.
ऐसा भी हो सकता है कि बिजली गिरने से व्यक्ति की हड्डियां टूट गयी हों या फिर दिखाई या सुनाई देना बंद हो गया हो. इस बात की भी जांच करें.
बिजली गिरने के तुरंत बाद बाहर न निकलें. अधिकांश मौतें तूफ़ान गुजर जाने के 30 मिनट बाद तक बिजली गिरने से होती है.
अगर बादल गरज रहे हों और आपके रोंगटे खड़े हो हों तो ये इस बात का संकेत है कि बिजली गिर सकती है. ऐसे में नीचे दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएँ. अपने हाथ घुटने पर रख लें और सर दोनों घुटनों के बीच रख लें. इस मुद्रा के कारण आपका जमीन से संपर्क कम से कम होगा.
याद रहे ये मिथक है कि बिजली एक ही जगह पर दो बार नहीं गिरती.
छाते या मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल न करें. धातु के जरिये बिजली आपके शरीर में घुस सकती है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, 15 साल की एक किशोरी पर बिजली उस समय गिर गयी थी जब वो मोबाइल इस्तेमाल कर रही थी. उसे दिल पड़ा था.
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