माइग्रेशन: जब गंजाम से बड़ी संख्या में लोग बर्मा और फिर वहां से पश्चिम भारत पहुंचे.
Balendushekhar Mangalmurty
19 वी सदी में अंग्रेज़ व्यापारी हेनरी पीडिंग्टन ( 1797- 1858) ने एक शब्द बनाया- “Cyclone”. यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्द “Kukloma” से निकला है, जिसका अर्थ होता है, Snake Coil. सायक्लोन के चलते ओडिशा के तट पर स्थित गंजाम जिले को काफी नुकसान पहुंचा- 1864, 1887, 1909, 1938, 1942, 1968, 1972, 1981, 1984, 1999 और 2013. गंजाम से जब माइग्रेशन शुरू हुआ, तो सेक्स रेश्यो जो 1872 में 1000 पुरुषों पर 970 महिलाएं थीं, वो 1901 में 1000 पुरुषों पर बढ़कर 1100 महिलाएं हो गया. गंजाम से बड़ी संख्या में पुरुष बर्मा गए. गोपालपुर के तट से वे समुद्री रस्ते रंगून पहुँचते थे, वहां से वे लोअर बर्मा पहुँचते, जहाँ वे कई तरह के सेक्टर्स में काम करते. उनमें लगभग आधे लोग ट्रांसपोर्ट सेक्टर- रेलवे, रोडवे, वाटरवे में काम करते थे और 15 प्रतिशत धान कूटने के काम में लगते थे. बर्मा दुनिया में चावल का लीडिंग एक्सपोर्टर था. राइस सेक्टर में गंजाम के लोगों का काम करना आसान था, चूँकि गंजाम खुद अपने राइस फ़ील्ड्स के लिए जाना जाता था. अर्थवर्क में भी गन्जामी लोग लगे थे. और बर्मा आयल कंपनी के एक जनरल मैनेजर के अनुसार, अर्थवर्क में एक बर्मी की एफिशिएंसी ओड़िया के माइग्रेंट लेबर की तुलना केवल 60 फीसदी है.

मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा गंजाम में तेलगु भाषी लोग भी अच्छी खासी संख्या में रहते थे, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर बसे थे. इनमे भी हर जाति के लोग माइग्रेट कर रहे थे- ब्राह्मण, कलिंगी, कापू, माला, वेलम, बावुरी, कोल्ला आदि. 1911 से 1921 के बीच माइग्रेशन के चलते नेगेटिव पापुलेशन ग्रोथ रहा. लगभग 5 फीसदी आबादी बर्मा में काम कर रही थी. गंजाम से लोग अक्टूबर से दिसंबर के बीच जाते थे और मार्च से मई के बीच लौट आते थे. हालाँकि बहुत सारे लोग बर्मा में तीन चार साल काम करने के बाद लौटते थे.
बर्मी राजनीति में 1940 के मध्य आयी उथल पुथल ने बर्मा से भारतीयों को बेदखल कर दिया. इसके बाद गंजाम के लोगों ने पश्चिम की ओर रुख कर लिया। बर्मा की जगह गुजरात ने ले ली और रंगून की जगह सूरत. गोपालपुर- रंगून स्टीमर की जगह पूरी-ओखा एक्सप्रेस, जो 2500 किमी की दूरी पचास घंटों में तय करने लगी. वर्तमान दौर में सूरत में गंजाम से माइग्रेट किये लोगों की संख्या एक लाख से ऊपर है. गंजाम जिले की आबादी का लगभग पांच प्रतिशत गुजरात में काम करता है. गंजाम ओडिशा का सबसे गरीब जिला नहीं है और न ही वे घर जहाँ से माइग्रेंट बाहर जाते हैं, सबसे गरीब घरों में से हैं. यहाँ के माइग्रेशन को cyclone के प्रति रिस्पांस के रूप में देखा जा सकता है. गंजाम को इस माइग्रेंट पापुलेशन के चलते HIV-ऎड्स की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है.
Source: Chinmay Tumbe’s “India Moving: A History of Migration”
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