पातेपुर विधानसभा सीट जहाँ दल बदलने पर भी प्रेमा चौधरी की दाल नहीं गली, किसे अपना विधायक चुनेगा?
Balendushekhar Mangalmurty
समस्तीपुर, वैशाली और मुज़फ़्फ़रपुर जिलों के मुहाने पर स्थित सुरक्षित विधानसभा सीट पातेपुर रोचक मुकाबले के लिए तैयार है. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले इस सुरक्षित सीट पर तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को मतदान होना है. इस बार ये हुआ कि राजद विधायक प्रेमा चौधरी के दल बदल कर जदयू में जाने के बाद भी सीट इस बार भाजपा को चली गयी और प्रेमा चौधरी को मन मसोस कर रह जाना पड़ा. ‘अंतरात्मा’ की आवाज सुनकर राजद छोड़ने का संकट प्रेमा चौधरी ने उसी समय दे दिया था जब उन्होंने मानव श्रृंखला में हिस्सा लिया था और नीतीश कुमार की काफी तारीफ़ की थी. राजद ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल बाहर किया.
पिछले कई चुनावों से प्रेमा चौधरी और महेंद्र बैठा के बीच राजनीतिक जंग का गवाह बने पातेपुर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा की ओर से लखिंदर पासवान का मुकाबला राजद उम्मीदवार शिवचंद्र राम से होना है. 2015 के चुनावों में राजद की प्रेमा चौधरी ने बीजेपी के महेंद्र बैठा को हराया था. महेंद्र बैठा ने प्रेमा चौधरी को 2010 में हराकर पहली बार बीजेपी को यहां से जीत दिलाई थी.अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित पातेपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास बताता है कि इस सीट पर हर बार का चुनावी मुकाबला बहुकोणीय रहा है.
महेंद्र बैठा ने एक बार जनता दल (1995), एक बार लोजपा (फरवरी, 2005) और आखिरी बार भाजपा (2010) के सिम्बल पर लड़ते हुए प्रेमा चौधरी को हराया। पातेपुर विधानसभा क्षेत्र की आबादी 419970 है. यह ग्रामीण इलाका है, जिसमें अनुसूचित जाति की आबादी 23.16 फीसदी है. वर्तमान में राजद से प्रेरमा चौधरी ही यहां से विधायक हैं, जिन्होंने 2015 में बीजेपी के महेंद्र बैठा को मात दी थी. गौर करने वाली बात ये है कि इस चुनाव में प्रेमा की पार्टी को जदयू और कांग्रेस का भी साथ मिला था.
पिछले चुनावों की बात करें तो 1990 में जनता दल के कद्दावर नेता राम सुन्दर दास ने कांग्रेस के बालेश्वर सिंह पासवान को हराया था. 1995 में महेंद्र बैठा ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े महेंद्र बैठा ने एसएपी की उम्मीदावर प्रेमा चौधरी को मात दी थी. 1995 से यहां महेंद्र बैठा और प्रेमा चौधरी के बीच चुनावी जंग चलती रही है. महेंद्र बैठा 2000 के चुनाव में जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन उन्हें राजद के टिकट पर चुनाव लड़ीं प्रेमा चौधरी ने हरा दिया. फरबरी 2005 में लोजपा के महेंद्र बैठा को राजद की प्रेमा चौधरी के हाथों शिकस्त मिली, लेकिन अक्टूबर 2005 में लोजपा के महेंद्र बैठा ने राजद नेत्री प्रेमा चौधरी को हराकर सफलता पायी. 2010 में भाजपा और जदयू के गठबंधन एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर एक बार फिर महेंद्र बैठा को सफलता मिली, 2015 में राजद, कांग्रेस और जदयू के महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर प्रेमा चौधरी ने महेंद्र बैठा को परास्त किया. इस बार 2020 में प्रेमा चौधरी मैदान से बाहर हैं और राजद ने भाजपा नेता महेंद्र बैठा के खिलाफ शिवचंद्र राम को खड़ा किया है.
1990 के पहले की स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1985 में कांग्रेस के बालेश्वर सिंह पासवान ने लोकदल के पल्टन राम को शिकस्त दी थी. जनता पार्टी (सेकुलर -चरण सिंह) के शिव नंदन पासवान ने 1980 में कांग्रेस के बालेश्वर सिंह पासवान को हराया था. 1977 के चुनावों में जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे पल्टन राम ने 1977 में सीपीआई के रिजन राम को हराया था.
क्षेत्रीय सामाजिक समीकरण
संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश 2008 के अनुसार पातेपुर निर्वाचन क्षेत्र के तहत पातेपुर सामुदायिक विकास खंड; मानसिंहपुर बिजरौली, कुमार बाजितपुर, राघोपुर नरसंडा, अदलपुर, नारी खुर्द और जंदाहा विकास खंड का एरिया आता है. पातेपुर में 2,60,719 वोटर हैं. जिसमें पुरुष मतदाता करीब 53.68 प्रतिशत है, जबकि महिलाएं 46.31 प्रतिशत हैं. इस सीट पर लिंग अनुपात 1000 पुरुष के मुकाबले 863 महिलाओं का है.
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